कश्मीरी पंडित- नरसंहार और पलायन
यह रिपोर्ट कश्मीरी पंडितों के हत्या और पलायन की 30 घटनाओं पर आधारित है। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में 8 जून, 2020 को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने सरपंच अजय पंडिता की गोली मारकर हत्या कर दी।
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1 | 19-03-1990 | कश्मीरी पंडित बीके गंजू की हत्या और ट्रॉमा: पहले की हत्या और फिर खून से सना चावल खिलाया | जम्मू कश्मीर में बीके गंजू को 19 मार्च 1990 को बिट्टा कराटे ने आतंकियों के झुंड के साथ उनके घर में घुसकर हत्या कर दी। बीके गंजू पेशे से इंजीनियर थे। बीके को मारने के लिए आतंकी जब उनके घर आए तो वह जान बचाने के लिए चावल के ड्रम में छिप गए। आतंकी गंजू को नहीं खोज पाए। लेकिन उनके मुस्लिम पड़ोसी ने आतंकियों को बताया कि वह चावल के ड्रम में छिपे हैं। कश्मीरी पंडित बीके गंजू की हत्या के बाद उनके खून से सना चावल उनकी पत्नी को खिलाया था। जिनकी कहानी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)’ में भी दिखाई गई है। | |
2 | 07-10-2021 | श्रीनगर के स्कूल में घुसे आतंकियों ने प्रिंसिपल और टीचर के आईडी कार्ड चेक किए, फिर गोलियां मारीं, दोनों की मौत | जम्मू कश्मीर में 7 अक्टूबर, 2021 को आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में ही एक स्कूल में घुसकर दो शिक्षकों प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी। सुपिंदर सिख समुदाय से और दीपक चांद कश्मीरी पंडित थे। आतंकियों ने पहले उनके आईडी कार्ड चेक किए और इसके बाद गोली मारी। जिस वक्त आतंकी स्कूल में घुसे, दोनों टीचर स्कूल के बाहरी कैंपस में बैठे थे। आतंकियों ने पहले उनके आईडी कार्ड चेक किए और इसके बाद गोली मारी। दोनों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई गईं। दोनों टीचर्स को शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस भेजा गया। वहां पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। हॉस्पिटल के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि दोनों को कई गोलियां लगी थीं। | |
3 | 05-10-2021 | आतंकियों ने श्रीनगर में प्रतिष्ठित कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंदरू की गोली मारकर हत्या की | श्रीनगर के इकबाल पार्क स्थित बिंदरू मेडिकेट फार्मेसी के मालिक माखन लाल बिंदरू को 5 अक्टूबर, 2021 को उनकी दूकान में घुसकर आतंकियों ने गोली मारी। बिंदरू कश्मीरी पंडित थे। 1990 में उग्रवाद जब चरम पर था तब भी वे वहां रुके रहे अपनी केमिस्ट की दुकान चलाते रहे, जबकि उनके ज्यादातर रिश्तेदार घाटी छोड़कर भाग गए थे। आतंकवादियों ने आज एक बार फिर से कश्मीरी पंडित की हत्या कर घाटी में इस कम्युनिटी के खिलाफ और दहशत फैलाने की कोशिश की। | |
4 | 07-10-1990 | कश्मीरी पंडित जगन्नाथ की हत्या: नहीं कहा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ तो कील से छेद दिया पूरा शरीर, पेड़ से टाँग दी लाश | जम्मू कश्मीर में 7 अक्टूबर 1990 को आतंकियों ने जगन्नाथ पंडित को भगत पोरा गाँव में तड़पा-तड़पा कर मारा था और उन्हीं के घर से 500 मीटर दूर उनके ही बगीचे में ले गए। वहाँ उन्हें खूब टॉर्चर किया गया। जगन्नाथ पंडित उस दिन (7 अक्टूबर 1990) अपने रिश्तेदार के साथ नौकरी से लौटकर घर पे खाना खा रहे थे कि तभी उनके नौकर ने जगन्नाथ से कहा कि उन्हें कोई बुला रहा है। इसके बाद वह बाहर गए जहाँ आतंकी उनका इंतेजार कर रहे थे। आतंकियों ने जगन्नाथ पंडित को मारने के बाद भी उनके साथ सारी बर्बरता सिर्फ इसलिए की थी क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने से इनकार कर दिया था और मरते दम तक वंदे मातरम बोल रहे थे। | |
5 | 28-04-1990 | कुछ दिन बाद होने वाली थी इस कश्मीरी पंडित की शादी, आतंकियों ने रॉड से चीर दिया था सिर | जम्मू कश्मीर में 28 अप्रैल 1990 को आतंकियों ने भूषण लाल रैना को सिर में नुकीली चीज घुसाकर घर से बाहर खींच कर शरीर में इतने कील ठोंकी की, जब तक उन्होंने दम नहीं तोड़ दिया। भूषण लाल अपनी माँ के साथ घाटी 29अप्रैल, 1990 को छोड़ने वाले थे। देर रात दोनों सामान बांध रहे थे कि तभी आतंकी आए और हत्या कर दी। भूषण लाल रैना की जल्द ही शादी होने वाली थी।आतंकियों के सामने भूषण लाल रैना की मां गिड़गिड़ाई कि उनके बेटे की शादी होने वाली है, ऐसे में उन्हें छोड़ दें। अगर वह मारना ही चाहते हैं तो बेटे की जगह उन्हें मार दें। | |
6 | 05-01-2024 | लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ की हत्या में वॉन्टेड लश्कर-ए-तैयबा आतंकी 7 साल बाद कश्मीर में मारा गया | जम्मू-कश्मीर के शोपियां में लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ के अपहरण और हत्या के सात साल बाद, सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी बिलाल अहमद भट्ट को मार गिराया, जो उस ग्रुप का आखरी सदस्य था जिसने 22 वर्षीय सेना अधिकारी की हत्या को अंजाम दिया था। हिस्ट्री शीटर और कई आतंकी मामलों में वांछित भट्ट पर दक्षिण कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने का भी आरोप था। मुठभेड़ स्थल से एक एके सीरीज राइफल, तीन मैगजीन सहित आपत्तिजनक सामग्री, हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए। 2018 में सेना ने शोपियां के जुबैर अहमद तुर्रे और पिंजूरा के इशफाक अहमद मलिक को मार गिराया था, जो कथित तौर पर फयाज़ की हत्या में शामिल थे। | |
7 | 10-03-2023 | जम्मू-कश्मीर: कश्मीरी पंडितों पर जुल्म की इंतेहा, 10 साल के आंकड़े बताते हैं कितना बहा खून | कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हत्या के मामले थमते नजर नहीं आ रहे. 2022 में, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों में तीन स्थानीय पंडितों, तीन अन्य हिंदुओं और आठ गैर-स्थानीय मजदूरों सहित 29 नागरिक मारे गए थे. अगस्त, 2019 से मार्च 2022 तक, 14 कश्मीरी पंडित या हिन्दू और गैर-कश्मीरी मजदूरों की आतंकवादियों ने गोली मार दी. साउथ एशिया टेरोरिज्म पोर्टल के मुताबिक जम्मू और कश्मीर में 2011 से 2016 के बीच कुल 562 हत्या की खबरें सामने आई. 2016 से 2022 के बीच यह आंकड़ा बढ़ कर 948 पर पहुंच गया. साल 2000 के बाद से नागरिकों की मौत के जिलावार हिस्से से पता चलता है कि दक्षिण कश्मीर, मध्य कश्मीर के बडगाम और श्रीनगर में इस तरह की मौतें ज्यादा हो रही हैं. 2022 में, कश्मीर के शोपिंया में 27 प्रतिशत नागरिकों की मौत हुई. साल 2000 में जम्मू कश्मीर में मारे गए नागरिक अनंतनाग, बारामूला, डोडा और श्रीनगर से थे. 2010 में बारामूला में नागरिकों के मारे जाने की खबरें सबसे ज्यादा आई. 14 फरवरी, 2019 को भारतीय सुरक्षाबलों पर एक बम हमला हुआ जिसमें 40 सैनिकों की मौत हो गई थी. इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास बढ़ी थी. | |
8 | 28-02-2023 | कश्मीरी पंडित की हत्या के एक दिन बाद ही पुलवामा में 1 आतंकी ढेर: सुरक्षाबलों ने घेरकर मारा, मुठभेड़ में 2 जवान घायल हुए | जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुई कश्मीरी पंडित की हत्या के बाद देर रात (27 फरवरी 2023) सुरक्षाबलों ने एक आतंकी का एनंकाउंटर किया। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि उन्हें पुलवामा जिले के पदगामपोरा अवंतीपोरा में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी जिसके बाद इलाके की घेराबंदी की गई और मुठभेड़ शुरू हुई। मुठभेड़ से 1 दिन पहले 26 फरवरी को पुलवामा के अचन में संजय शर्मा नाम के कश्मीरी पंडित को आतंकियों ने मारी थी। वो सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे। 2023 में हुई ये कश्मीरी पंडितों की पहली हत्या है। | |
9 | 25-02-2023 | घाटी में बहा एक और कश्मीरी पंडित का खून, बालाकोट एयर स्ट्राइक की बरसी के दिन संजय शर्मा को मार डाला: सिक्योरिटी गार्ड का करते थे काम | जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 25 फरवरी, 2023 को अपनी पत्नी के साथ बाजार जा रहे बैंक के सिक्योरिटी गार्ड संजय शर्मा की कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स के आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। संजय शर्मा पर गोलियाँ चलाने वाले आतंकियों की संख्या 2 बताई जा रही है। जम्मू कश्मीर पिछले साल भी कई हिन्दुओं को निशाना बनाया गया था और टारगेट किलिंग हुई थी। 26 फरवरी, 2019 का ही दिन था, जब भारत ने पुलवामा हमले के बदले के रूप में बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया था। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना की निंदा करते हुए कहा है, “दक्षिण कश्मीर में संजय पंडित की हत्या से मैं दुःखी हूँ। " | |
10 | 31-05-2022 | स्कूल में घुस कश्मीरी पंडित महिला शिक्षक को आतंकियों ने मारी गोली, हुई मौत: हिंदुओं की टार्गेटेड किलिंग पर लगाम कब? | जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में इस्लामी आतंकियों ने 31 मई, 2024 को एक महिला कश्मीरी हिंदू (पंडित) की हत्या कर दी है। हाई स्कूल गोपालपोरा की शिक्षिका रजनी को आतंकियों ने स्कूल में गोलियों से छलनी कर दिया। 36 साल की रजनी बाला जम्मू के सांबा जिले की रहने वाली थीं. वो कुलगाम के गोपालपुरा के सरकारी स्कूल में टीचर थीं। उनके पति राज कुमार भी कुलगाम के एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं।रजनी बाला रोज करीब 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल में बच्चियों को पढ़ाने जाती थीं। रजनी बाला ने खुद की जान का खतरा देखते हुए शिक्षा विभाग को एक चिट्ठी लिखकर सुरक्षित जगह ट्रांसफर किए जाने का अनुरोध भी किया था। जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने जून 2022 में कहा कि जिस स्कूल में रजनी बाला पढ़ाती थीं, उसका नाम अब उनके नाम पर रखा जाएगा। | |
11 | 14-03-2022 | नदीमर्ग नरसंहार कांड: 24 कश्मीरी पंडितों की वो 'टारगेट किलिंग', जब बच्चे को चुप कराने के लिए सीने मे उतार दी गोली | नदीमर्ग में 23 मार्च 2003 को आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन से खड़ा कर गोली मार दी। इस नरसंहार में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया था।आतंकियों ने सभी कश्मीरी हिंदुओं को उनके नाम से बाहर बुलाया। इसके बाद सबके सामने महिलाओं के कपड़े फाड़े गए। नरसंहार को अंजाम देने से पहले आतंकियों ने कई दिनों तक वहां की रेकी कर कश्मीरी पंडितों की जानकारी जुटाई थी और सेना की वर्दी का सहारा लेकर हिंदुओं को वहां से निकालने का भरोसा दिलाया था। नदीमर्ग नरसंहार के बाद जैनापुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। पुलिस की जांच के बाद पुलवामा सेशंस कोर्ट में 7 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। बाद में केस को शोपियां सेशन कोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया था।हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2011 को इस याचिका को बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया था। | |
12 | 30-04-1990 | 66 साल के सर्वानंद कौल ‘कुरान’ साथ रखते थे फिर भी बेटे के साथ हत्या कर पेड़ से टाँग दिया, जहाँ लगाते थे तिलक वहाँ की चमड़ी छील दी | कश्मीर घाटी में जब कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार प्रारम्भ हुआ, तो 66 साल के सर्वानंद कौल ‘प्रेमी’ को इस्लामी आतंकियों ने 30 अप्रैल 1990 को उनके 27 साल के बेटे के साथ मार डाला था। सैटेनिक वर्सेज़ के विरोध के एक वर्ष पश्चात् आतंकी कौल के घर पहुंचे थे। सन 1989 में पूरे विश्व में सलमान रुश्दी की पुस्तक ‘सैटेनिक वर्सेज़’ का विरोध चरम पर था जिसकी आग कश्मीर तक भी पहुँची। परिणामस्वरूप 13 फरवरी को श्रीनगर में दंगे हुए जिसमें कश्मीरी हिन्दुओं को बेरहमी से मारा गया। सर्वानन्द कौल 17 वर्ष की आयु में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े थे और बाद में 'आल इंडिया स्पिनर्स एसोसिएशन' के सदस्य बनाए गए।सर्वानन्द कौल का जन्म जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में 2 नवम्बर सन 1924 में हुआ था। | |
13 | 04-11-1989 | Neelkanth Ganjoo हत्याकांड की फाइल फिर से खुली, 34 साल पहले J&K के जज के साथ क्या हुआ था? | यासीन मलिक के जेकेएलएफ आतंकवादियों ने 4 नवंबर, 1989 को मकबूल बट्ट नाम के आतंकी को फांसी की सजा सुनाने से नाराज होकर जस्टिस नीलकंठ गंजू की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी। जस्टिस नीलकंठ गंजू की 1966 में पुलिस इंस्पेक्टर अमर चंद की हत्या के आरोपी मकबूल भट्ट को 1968 में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। 1984 में मकबूल को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। मकबूल बट्ट ही वो कश्मीरी आतंकी था, जिसने नेशनल लिबरेशन फ्रंट के नाम से एक आतंकी संगठन की बुनियाद रखी थी। बट्ट को दो सरकारी अधिकारियों के कत्ल का दोषी पाया गया था और 11 फरवरी 1984 को उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। | |
14 | 14-03-2022 | Who were Girija Tikku and Sarla Bhatt, brutally murdered by terrorists just because they were Hindus | Girija Tickoo was a Kashmiri Hindu from Bandipora. She worked as a laboratory assistant in a university in Kashmir Valley. One day Girija got caught in a terrorist attack, her dead body was found on the roadside in horrible condition. The autopsy revealed she was brutally gang-raped and horribly tortured. Girija was cut into two pieces using a mechanical saw while she was still alive, right from the middle of her body. Her family still awaits justice, just like the hundreds and thousands of other Kashmiri Pandits whose suffering has been deemed as ‘propaganda’ by the ‘liberal’ section of the media and society. | |
15 | 01-05-2020 | Kashmiri Hindu Sarvanand Kaul 'Premi', whose brutal murder by Islamic terrorists started the tragedy of displacement in the valley | Sarwanand Koul Premi was a Kashmiri Pandit poet, journalist, research scholar, Gandhian, social reformer and independence activist living in Jammu & Kashmir, India.he was kidnapped, tortured and killed by Islamic terrorists in 1990. The famous Kashmiri poet Mahjoor had given the title of "Premi" to Sarbananda Kaul Premi. He wrote about nature, love, Kashmiriyat among other things. Sarbananda Kaul Premi was a freedom fighter. The Jammu and Kashmir government honored poet, teacher and social reformer late Sarbananda Kaul with the Lifetime Achievement Award in January 2022. | |
16 | 10-06-2020 | अजय पंडिता की हत्या से खौफ में घाटी के सरपंच, जम्मू हो रहे हैं शिफ्ट | जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में 8 जून, 2020 को आतंकियों ने सरपंच अजय पंडिता की गोली मारकर हत्या कर दी। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली। अजय पंडिता का संबंध कांग्रेस पार्टी से था। कांग्रेस की अनंतनाग इकाई के वरिष्ठ नेता एवं लरकीपोरा में लोकबवन पंचायत के सरपंच अजय कुमार पंडिता भारती शाम करीब छह बजे किसी काम से अपने घर से बाहर निकले थे। हमले के बाद आतंकी फरार हो गए। आतंकियों के भागने के बाद अजय को उनके परिजनों व अन्य लोगों ने अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत लाया घोषित कर दिया। | |
17 | 27-02-1990 | 27 February 1990, When another Kashmiri Hindu Navin Saproo paid a huge price for being a Hindu | Navin Saproo, a resident of Habba Kadal, Srinagar was employed with Central Government service. While returning from his office on 27th Feb 1990, the terrorists surrounded him and attacked with multiple bullets in broad daylight. Dancing around the shot body of Navin Saproo, terrorists shot at him repeatedly avoiding any vital organ just to prolong his agony and he bleeded profusely. The Pandits could see the writing on the wall.“Zalimo, O Kafiro, Kashmir harmara chod do”. “Kashmir mein agar rehna hai, Allah-ho-Akbar kahna hoga” La Sharqia la gharbia, Islamia! Islamia! | |
18 | 21-03-1997 | 1997 Sangrampora massacre:When 7 Kashmiri Pandits were killed by Jihadi terrorists | 1997 Sangrampora massacre was the killing of seven Kashmiri Pandit villagers in Sangrampora village of Budgam district of Jammu and Kashmir on 21 March 1997, by terrorists. This was the one of a series of massacres which selectively targeted Kashmiri Pandit in Jammu and Kashmir. Terrorist shot and killed seven people. Several people were injured. The killers fled in the dark. The people who were living in the Sangrampora were Bhat’s and seven members of their family were killed in this attack. | |
19 | 07-05-1990 | मई, 1990 की वो शाम जब इस्लामिक आतंकियों ने प्रोफेसर के.एल. गंजू की हत्या की नृशंस हत्या की और पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार कर तड़पाकर मारा | के.एल. गंजू अपनी पत्नी प्रणा के साथ 7 मई 1990 को नेपाल में एक सेमिनार में हिस्सा लेकर जम्मू -कश्मीर वापिस लौट रहे थे।आतंकियों ने प्रोफेसर के.एल. गंजू को गाड़ी से उतारकर मारा-पीटा और फिर गोली मार नीचे बह रही झेलम में फेंक दिया। सोपोर में एग्रीकल्चरल कॉलेज में प्रोफेसर के. एल. गंजू। देश-विदेश के विश्वविद्यालयों में वो एक जाने-माने रिसर्चर माने जाते थे। उनके परिवार को कई बार धमकियां मिली, रिश्तेदारों ने घाटी छोड़ने की सलाह दी। लेकिन केएल गंजू ने इंकार कर दिया था। हत्या के बाद आतंकी प्रणा गंजू को अगवा कर फरार हो गये। पुलिस प्रणा गंजू की खोज़बीन करती रही। लेकिन उसके बारे में कुछ पता नहीं चला। कुछ अखबारों में खबर छपी की प्रणा गंजू के साथ आतंकियों ने कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया। | |
20 | 12-02-1990 | 12 फरवरी, 1990 का काला इतिहास ; जब CBI इंस्पेक्टर TK राजदान के जान का दुश्मन बना उनका वर्षों पुराना मुस्लिम दोस्त | जम्मू कश्मीर के बडगाम निवासी तेज कृष्ण राजदान की 12 फरवरी, 1990 को मंज़ूर अहमद शल्ला नाम के उन्हीं के दोस्त ने रिवॉल्वर निकालकर तेज़ कृष्ण राज़दान को कई बार सीने में गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया। तेज़ कृष्ण राज़दान, जम्मू कश्मीर के बढियार भल्ला, श्रीनगर के रहने वाले थे। तेज़ कृष्ण राज़दान 'केंद्रीय जांच ब्यूरो' (CBI ) में बतौर इंस्पेक्टर नियुक्त हुए थे। उन दिनों उनकी पोस्टिंग पंजाब में थी। राजदान को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका पुराना मुस्लिम दोस्त अब ए 'जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट' का आतंकी बन चुका है। राज़दान के शव को मस्जिद के बाहर फेंकने के बाद आतंकी ने हिन्दुओं को अपनी बर्बरता का उदाहरण देने के लिए और हिंदुओं के मन में दहशत भरने के लिए टी.के राज़दान के पहचान पत्र निकाले और उन पहचान पत्रों को एक-एक कर कीलों से उनके शरीर पर घोंप दिए। | |
21 | 12-06-1990 | Remembering a true patriotic of J&K Police, Inspector Chuni Lal Shala | Inspector Chuni Lal Shala was killed, when a brave Indian fell victim to radical Islamic terrorism. Inspector Shala was killed while he was travelling by bus to his home in Baramulla On 19 January 1990. When Shala was an inspector in the CID department of the Jammu and Kashmir Police and posted in Kupwara district, he during his duty had interrogated several Hizbul Mujahideen terrorists. Chunni Lal Shalla was born in a Kashmiri Brahmin Zamindar family in a village named "Sheer Jagir" near Sopore in Baramulla.He had his initial education in Sopore and after that he went to Sri Pratap College Srinagar for Higher studies | |
22 | 31-03-2023 | Kashmiri Pandit Satish Tickoo Murder: Sessions Court lists revision plea on May 4 | A Sessions court here on 4 May 2023, a Criminal Revision Petition regarding the murder of Kashmiri Pandit Satish Tickoo in February 1990 here. The Criminal Revision Petition is challenging the order passed by a Magistrate court on September 1, 2021 whereby the application seeking direction to complete the investigation with regard to killing of Tickoo and filing of the charge-sheet was dismissed in default. The petition filed in 2017 by the NGO had sought that separatists like Yasin Malik and Bitta Karate, named in the FIRs, be tried for the murders. | |
23 | 30-11-2022 | When Kashmiri Pandits fled the Valley more than 30 years ago | Notably by the Kashmiri Pandit Sangharsh Samiti (KPSS), of 75,343 Kashmiri Pandit families in January 1990, more than 70,000 fled between 1990 and 1992. The flight continued until 2000. The KPSS has placed the number of Kashmiri Pandits killed by militants from 1990 to 2011 at 399, the majority during 1989-90. As per the report of Relief Office setup in 1990 by the Government of Jammu and Kashmir, 44,167 Kashmiri Migrant families are registered who had to move from the valley since 1990 due to security concerns. | |
24 | 14-12-2022 | 9 Kashmiri Pandits killed in J&K in 3 yrs: Union Minister of State for Home | Union Minister of State said on December 2022 :- 9 Kashmiri Pandits killed in J&K in 3 yrs - four (4) Kashmiri Pandits were killed in 2022 and as many in 2021, while one was killed in 2020. An organisation called Roots of Kashmir filed a petition in 2017 to reopen 215 cases of more than 700 alleged murders of Kashmiri Hindus, however the Supreme Court of India refused its plea. Famous kashmiri Pandits killed - Neelkanth Ganjoo (1989), Tika Lal Taploo (1989), Satish Tikoo (1990), Girija Tickoo (1990), Lassa Kaul (1990), Sarwanand Koul Premi(1990) | |
25 | 14-12-2022 | At least 399 Kashmiri Pandits killed in JK since 1990: Survey | The local organisation of pandits in Kashmir, Kashmir Pandit Sangharsh Samiti after carrying out a survey in 2008 and 2009, said that 399 Kashmiri Pandits were killed by insurgents from 1990 to 2011 with 75% of them being killed during the first year of the Kashmiri insurgency. Indian Home Ministry data records 1,406 Hindu civilian fatalities from 1991 to 2005. By 2011, only an estimated 2,700-3,400 Pandits remained in the Kashmir Valley. An organisation called Roots of Kashmir filed a petition in 2017 to reopen 215 cases of more than 700 alleged murders of Kashmiri Hindus, however the Supreme Court of India refused its plea.( | |
26 | 26-04-2022 | 64,827 Kashmiri Pandit families left Kashmir valley in early 1990s due to militancy: MHA | According to the annual report of the Ministry of Home Affairs (MHA) for 2020-21, Pakistan-sponsored terrorism forced 64,827 Kashmiri Pandit families to leave the Kashmir valley in the early 1990s and settle in Jammu, Delhi, and some other parts of the country. According to the annual report of the Ministry of Home Affairs (MHA) for 2020-21, Pakistan-sponsored terrorism forced 64,827 Kashmiri Pandit families to leave the Kashmir valley in the early 1990s and settle in Jammu, Delhi, and some other parts of the country. There were 1,776 infiltration attempts from across the border to Jammu and Kashmir between 2014 and 2020, of which 685 were successful. | |
27 | 18-06-2023 | Exodus of Kashmiri Pandits: An Ethnic Cleansing the World Forgot | Approximately 300,000 Kashmiri Pandits are reported to have left the region due to constant persecution from the Jammu Kashmir Liberation Front (JKLF) and other militant groups, like Hizbul-Mujahideen (HM). In 2010, the Government of Jammu and Kashmir noted that 808 Pandit families, comprising 3,445 people, were still living in the Valley and announced financial and other incentives to encourage others to return. As of 2016, a total of 1,800 Kashmiri Pandit youths have returned to the valley since the announcement of Rs. 1,168-crore package in 2008 by the UPA government. | |
28 | 23-03-2010 | 219 Kashmiri Pandits killed by militants since 1989 | The Jammu and Kashmir government on 22 march 2010 said 219 Kashmiri Pandits were killed by militants since 1989 while 24,202 families were among the total 38,119 families which migrated out of the Valley due to turmoil. Revenue Minister Raman Bhalla told the Assembly in Jammu, A total number of 38,119 families comprising 1,42,042 Kashmiri migrants were registered with the Revenue and Relief Ministry till now (year 2010). An amount of Rs.71.95 crore was spent in providing relief and other facilities to the Kashmiri migrants living in Jammu and other parts in 2007-08, Rs.70.33 crore in 2008-09 and Rs.68.59 crore from 2009 up to January, 2010. | |
29 | 21-10-2017 | Kashmiri Pandit family accuses neighbour of stone-pelting on Diwali | A Kashmiri Pandit couple staged a sit-in on a road in Kulgam district, accusing their neighbours of pelting stones on their house on Diwali to force them out of the Valley. “I have not migrated. I have stayed back in the valley and I’m living with dignity among the Muslims,” he said, demanding protection from the state government. A police spokesman said the incident occurred on October 19 between Pandit and Naseer Ahmad Bhat and his brothers in Renipora village.“Immediate help was provided ,” he said. | |
30 | 25-01-1998 | 1998 वंधमा हत्याकांड: जब 23 कश्मीरी पंडितों की हत्या से दहल उठा था पूरा गांव | कश्मीर के साथ ही पूरे देश के लिए 25 जनवरी 1998 की रात 'काली रात' साबित हुई जब नकाबपोश आतंकी बंदूकधारियों द्वारा एक साथ 23 कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया गया। वंधमा नरसंहार को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने अंजाम दिया था। पीड़ितों में चार बच्चे और नौ महिलाएँ शामिल थीं। नरसंहार का समय शब-ए-कदर के साथ मेल खाने के लिए रखा गया था, जो रमज़ान के महीने की सबसे पवित्र रात होती है , जब श्रद्धालु भोर तक जागते रहते हैं। हिंसा के प्रमुख आतंकी अब्दुल हामिद गदा साल 2000 में भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराया। |